क्रिप्टो समझने के लिए बिटकॉइन मुद्रा और बिटकॉइन नेटवर्क के बीच का अंतर जानना जरुरी है। दोनों का नाम वही है पर काम नहीं। जैसे RBI भारतीय मुद्रा पर नियंत्रण रखती है, उसी तहरा से, बिटकॉइन नेटवर्क , बिटकॉइन मुद्रा पर नियंत्रण रखता है। फरक ये है की, RBI एक केंद्रीय डेटाबेस से नियंत्रण रहते है और बिटकॉइन का डेटाबेस विकेंद्रित है।
ये नेटवर्क क्या बाला है?
इतिहास में बहुत उदहारण है नेटवर्क के।रेलगाड़ी , टेलीफोन , इंटरनेट ये सब नेटवर्क्स है। नेटवर्क मतलब एक ऐसी जाली जो बहुत सरे किनारों को एक साथ जोड़ती है और उससे से साब का भला होता है। उदहारण के लिए टेलीफोन का नेटवकर ढक लीजिए।जब दो या अधिक टेलीफोन एक दूसरे से जुड़ जाते है, थो उनके बीच एक कड़ी जुड़ जाती है। जब चार टेलीफोन नेटवर्क का भाग बनते है थो उनके बीच ६ कड़ियां जुड़ती है। जब ५ टेलीफोन नेटवर्क का भाग बनते है थो उनके बीच १० कड़ियां जुड़ती है…आदि
जैसे नेटवर्क में लोग / कनेक्शन / नोड भड़ते है, वैसे उस नेटवर्क का उपयोग भड़ता है।अगर आपने गौर किया तो आपको धिकेगा की नेटवर्क में नोड रैखिक रूप से भड़ते है, पर उनके बीच की कड़ियाँ घातीय रूप से भड़ते है। इससे कहते है नेटवर्क इफेक्ट्स, और सभी तकनीके जो नेटवर्किंग पर आधारित है, वो हमेशा नेटवर्क इफ़ेक्ट प्रदर्शित करती है। इसका मतलब नेटवर्क की ताकत/लोकप्रियता घातीय रूप से भड़ती है जब नेटवर्क में नोड जुड़ते है।
आप शायद आज व्हाट्सप्प इस्तेमाल करते होंगे, पर बाजार में टेलीग्राम, सिग्नल, जैसे हज़ारों मस्सागिंग आप है।थो फिर व्हाट्सप्प इतना लोकप्रिय क्यों है ? क्यों आपके सभी दोस्त और रिश्तेदार व्हाट्सप्प इस्तेमाल करते है।इसका मतलब व्हाट्सप्प के नेटवर्क में सबसे जयादा नोड /कनेक्शंस /उप्योगकर्ता है, जिस वहज से व्हाट्सप्प बाजार में सफल है।इसी तरह से बाजार में हज़ारों क्रिप्टो मुद्रियाँ है, पर सबसे सफल सिर्फ बिटकॉइन और एथेरेयम है क्यों की उनके पास सबसे जयादा नेटवर्क इफ़ेक्ट है।
बिटकॉइन नेटवर्क और बिटकॉइन मुद्रा
जैसे RBI भारतीय मुद्रा का मूल्य सुरक्षित करता है उसी तहरा से बिटकॉइन मुद्रा का मूल्य बिटकॉइन नेटवर्क सुरक्षित करता है। फरक ये है के, जब आप बिटकॉइन में लेन-देन करते है थो वो अप्प आपकी तमन्ना से करते है(किसी ने आप पर दबाव नहीं डाला), आपको कोई रोख नहीं सकता, अप्पको किसी की अनुमति नहीं लेनी पड़ती और किसी को आपका आधार कार्ड नहीं दिखाना पड़ता।ये सब इस लिए सक्षम है क्यों की बिटकॉइन और एथेरेयम का कोई केंद्रीय संचालक नहीं है, जिसकी वहज से कोई एक इंसान या समूह उस नेटवर्क का फ़ायदा नहीं उठा सकता।यह मुख्या सफलता रही है बिटकॉइन की।
रबी कभी भी किसी की लेन देन पर रोक लगा सकती है , कभी भी मुद्रा की २००० की नोट को रद्द कर सकती है, या कोई भ्रष्ट नेता रबी का दुरूपयोग करके खुदकी संपत्ति में मुनाफा ला सकता है, लेकिन बिटकॉइन या एथेरेयम में ऐसा कोई नहीं कर सकता।
बिटकॉइन के साथ आप केवल लेन-देन कर सकते है या फिर उसे आप अप्पने वॉलेट में जमा कर सकते है।
एथेरेयम
एथेरेयम की दुनिया थोड़ी अलग है। जैसे गूगल स्टोर या ऍप स्टोर अप्पके मोबाइल में है, उसी तरह एथेरेयम भी एक तरह का ऍप स्टोर है। फरक ये है की गूगल और एप्पल जैसी कम्पनिओं को सर्कार के कानून पलने पड़ते है, लेकिन एथेरेयम पे बने हुवे ऍप्स को किसी सर्कार के कानून पलने नहीं पड़ते, वो केवल एथेरेयम के कानूनो पर काम करता है। एथेरेयम पे आप लेन-देन कर सकते है, या ब्याज कमा सकते है, व्यपार कर सकते है, पैसे कमा सकते है, जुवा खेल सकते है, पैसे उधर ले सकते है या बास वॉलेट में जमा कर सकते है।
दुन्याँ भर में हज़ारों स्वतंत्र कंप्यूटर हर एक क्रिप्टो लेन-देन को स्वातन्त्रिक रूप से सत्यापित करते है। इस्सके बदले में क्रिप्टो प्रोटोकॉल उन कम्प्यूटर को क्रिप्टो मुद्रा इनाम के रूप में देता है और इस प्रक्रिया को माइनिंग कहता है। कोई भी माइनिंग कर सकता है और जितने जदया माइनर नेटवर्क में जुड़ते है उतनी नेटवर्क की शक्ति भड़ती है और लेंन-देन में छेड़छाड़ करने की कीमत भड़ती है।
बिटकॉइन या एथेरेयम के बीचमें कौन बेहतर है?
बिटकॉइन और एथेरेयम के फायदे और लक्ष्य अलग है। बिटकॉइन की आपूर्ति तय है २१ मिलियन पर। इससे कोई बदल नहीं सकता। बहुत लोगो ने कोशिश की पिछले १० सालों में बिटकॉइन को मात देने की, लेकिन कोई सफल नहीं हुवा। सोने की आपूर्ति सिमित है और कोई एक समूह सोने के उत्पादन पर नियंत्रण नहीं रखता।इसकी वहजसे सोने और बिटकॉइन में काफी समानताएं है और बिटकॉइन डिजिटल दुनियां में सोने की कमी को पूरा करता है।
एथेरेयम की अपृति परिवर्तनीय है पर एथेरेयम पे आप ऍप बना सकते है। अगर बिटकॉइन डिजिटल सोना है थो एथेरेयम डिजिटल बैंक है। जो काम आपकी बैंक करती है, वो सारे काम एथेरेयम पे होते है और वो भी एकदम सस्ती कीमत पे।